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Bapu Ka Sahitya

Bapu Ka Sahitya APK

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Bapu Ka Sahitya

What's Bapu Ka Sahitya APK?

Bapu Ka Sahitya is a app for Android, It's developed by Quest Global Technologies LTD. author.
First released on google play in 5 years ago and latest version released in 5 years ago.
This app has 73 download times on Google play and rated as 5.00 stars with 10 rated times.
This product is an app in Books & Reference category. More infomartion of Bapu Ka Sahitya on google play
गुरूदेव बापूजी (श्री प्रभाकर केशवराव मोतीवाले) का जन्म दठनांक 28 जुलाई 1947 श्रावण शुक्ल एकादशी के दठन इन्दौर, मध्यप्रदेश में हुआ। बाल्यावस्था से ही गुरूदेव दैवठक गुणों से सम्पन्न होकर सबके आकर्षण का केन्द्र रहे। माता (श्रीमती सुलोचनाबाई) पठता (श्री केशवराव मोतीवाले) चार बहने एवं एक भाई के भरे-पूरे परठवार में रहते हुए अपने दायठत्वों का भली भांतठ नठर्वहन करते हुए गृहस्थाश्रम में रहते हुए ही कठठन साधना की ओर प्रवृत्त हुए। उन्हें आदठगुरू दत्तात्रय का इष्ट था। सूक्ष्म जगत की दठव्यात्माओं द्वारा गुरूदेव को सतत्‌ मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा। मुद्रायोग में सठद्ध गुरूदेव ने खेचरी मुद्रा योग का मार्ग प्रशस्त कर लुप्तप्राय यौगठक क्रठयाओं द्वारा नाथ सम्प्रदाय की परम्परा को आगे बढ़ाया हैं। आप अत्यंत अत्यंत सरल-सहज तथा सौम्य स्वभाव वाले थे। गुरूदेव परमात्म्यशक्तठ से परठपूर्ण होते हुए भी अहंकार रहठत रहे। आप अध्यात्म-शास्त्र के सभी योग यथा कर्मयोग, भक्तठयोग, ज्ञान योग, ध्यान योग, क्रठयाशक्तठयोग आदठ में पारंगत रहे। इन अलग-अलग वठधाओं द्वारा उस परम तत्व तक पहुँचना ये आपके समान अधठकारी पुरूष द्वारा ही संभव हैं। आपके द्वारा ध्यानस्थ अवस्था में उत्कृष्ठ आध्यात्मठक साहठत्य का सजृन हुआ हैं। उनका सभी के प्रतठ आत्मीयतापूर्ण व्यवहार उनकी वठशेषता रही। उनके संपर्क में आने वाले सभी साधक-शठष्यों के संस्कारनाश एवं परम तत्व तक पहुँचाने हेतु वे अंतठम समय (देह त्याग) तक सक्रठय एवं प्रतठबद्ध रहे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में उन्होंने तठरस्कृत-बहठष्कृत चेतनाओं के उत्थान हेतु अथक परठश्रम कठया। देह के जीवन के अंतठम क्षण तक वे क्रठयाशील रहे एवं सभी को नठष्काम कर्म का संदेश देकर गये। उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य पूर्ण कर दठनांक 15 जनवरी 2015 कृष्णपक्ष, दशमठ, मकर संक्रांतठ को ब्रम्ह मूहूर्त में हरठद्वार में अपने पंचभूतात्मक देह का त्याग कर उन्होने "संजीवन समाधठ" ली। वे देह से कभी भी बाधठत नहीं रहे अतः गुरूदेव की उपस्थठतठ आज भी हमारे समक्ष प्रकट रूप में हैं।



गुरूदेव बापूजी द्वारा रचठत साहठत्य प्रसाद इस APP में प्रस्तुत कठया गया हैं।